ऐक्टर:-अविनाश तिवारी,दिव्येंदु,प्रतीक गांधी,नोरा फतेही,उपेंद्र लिमये,छाया कदम,रेमो डिसूजा
डायरेक्टर : कुणाल खेमूश्रेणी:Hindi, कॉमिडीअवधि:2 Hrs 17 Min
इस हफ्ते रिलीज हुई दोनों फिल्में 'स्वातंत्र्य वीर सावरकर' और 'मडगांव एक्सप्रेस' जॉनर के हिसाब से एक-दूसरे से बिलकुल अलहदा फिल्म हैं। एक ऐतिहासिक बायोपिक है तो दूसरी कॉमिडी राइड, मगर दोनों ही फिल्मों में एक बात कॉमन है कि दोनों फिल्मों को एक्टर से निर्देशक बने कलाकारों ने निर्देशित किया है। 'वीर सावरकर' को रणदीप हुड्डा ने डायरेक्ट किया है, तो 'मडगांव एक्सप्रेस' को कुणाल खेमू ने। हालांकि रणदीप ने अपनी फिल्म में शीर्षक भूमिका स्वयं निभाई है, जबकि 'मडगांव एक्सप्रेस' में कुणाल महज दो सींस में ही नजर आते हैं।Full Movie Download Link:- [click here👇]
'मडगांव एक्सप्रेस' मूवी की कहानी
कहानी कुछ ऐसी है कि डोडो (दिव्येंदु), पिंकू( प्रतीक गांधी) और आयुष (अविनाश तिवारी) तीनों बचपन के दोस्त हैं और बचपन से ही तीनों का एक सपना था कि बालिग होने के बाद वे गोवा जाकर ऐश करेंगे, मगर उनका ये सपना पूरा नहीं हो पाया। बड़े हो जाने के बाद आयुष और पिंकू विदेश में जाकर सेटल हो जाते हैं, जबकि डोडो पिज्जा डिलीवरी बॉय बनकर चॉल में रह जाता है। मगर अपने दोस्तों की अमीरी की बराबरी करने के लिए वह फोटोशॉप की हुई तस्वीरों और झूठी पोस्ट से सोशल मीडिया पर खुद को रईस दिखाने के लिए एक फरेबी दुनिया गढ़ता है। कहानी में ट्विस्ट तब आता है, जब उसके ये अमीर विदेशी दोस्त मुंबई आते हैं और गोवा जाने के बचपन के सपने को पूरा करने के लिए तैयार हो जाते हैं।Full Movie Download Link:- [click here👇]
'मडगांव एक्सप्रेस' मूवी रिव्यू
मगर गोवा जाने से पहले रेलवे प्लैटफॉर्म पर पिंकू का बैग गणपत से एक्सचेंज हो जाता है। पिंकू को जो बैग मिलता है, उसमें एक पिस्तौल के साथ ढेर सारा कैश है। कहानी में मजा तब और बढ़ जाता है, जब गोवा ऐसा करने आए ये तीनों दोस्त कोकीन तस्करों की आपसी रंजिश में फंस जाते हैं। एक तरफ है डॉन मेंडोजा (उपेंद्र लिमये) तो दूसरी तरफ है उसकी खतरनाक गैंगस्टर एक्स वाइफ कांचन कोमड़ी (छाया कदम) गैंगस्टर के इस जंजाल में उनका सामना नोरा फतेही से भी होता है, जो उन्हें एक डॉक्टर ( रेमो डिसूजा) से मिलवाती है, मगर उसकी सचाई कुछ और है। कोकीन की तस्करी के आरोप में फंसे ये तीनों दोस्त पुलिस और गैंगस्टर से बच पाते हैं या नहीं, ये देखने के लिए आपको सिनेमा हॉल जाना होगा।Full Movie Download Link:- [click here👇]
'मडगांव एक्सप्रेस' मूवी का निर्देशन
कुणाल खेमू निर्देशक के रूप में किसी गहरी बात को कहने के बजाय कॉमिडी का रास्ता चुनते हैं और वे दर्शक को हंसाने और गुदगुदाने में सफल भी साबित होते हैं। हालांकि उनकी कहानी में बहुत ज्यादा नयापन नहीं है। ड्रग्स की तस्करी में पुलिस और गैंगस्टर के बीच फंसे बेगुनाह किरदारों को हम पहले भी देख चुके हैं, मगर इस देखी-दिखाई कहानी का ट्रीटमेंट कुणाल ने बेहद मनोरंजक रूप से किया है। तीन दोस्तों की दोस्ती के बहाने उन्होंने आज के सोशल मीडिया पर भी करारा तंज कसा है। फिल्म में, 'अब सिर्फ हमारी मौत का लकी ड्रॉ निकलना बाकी है' जैसे मजेदार संवादों और स्लैपस्टिक कॉमिडी की भरमार है, जो मनोरंजन के तगड़े डोज का असर बनाए रखती है। गैंगस्टर लेडी गैंग की मछुआरनों का चश्मे और नववारी साड़ी वाला गेटअप मजेदार लगता है। हां, कुछ दृश्य ऐसे जरूर हैं, जो फिल्म की लंबाई को बढ़ाते हैं, वरना आदिल अफसर की सिनेमैटोग्राफी बेहतरीन है। गीत-संगीत की बात की जाए, तो कई संगीतकारों की फौज है, मगर वे तस्सवुर में फिल्माए दो-तीन गाने कहानी के अनुरूप बन पड़े हैं।Full Movie Download Link:- [click here👇]
'मडगांव एक्सप्रेस' मूवी कलाकार
एक्टिंग की बात की जाए, तो सभी की कॉमिक टाइमिंग कमाल की है, मगर दिव्येंदु डोडो के रूप में अपने कॉमिक अंदाज में सबसे ज्यादा धमाल करवाते हैं। उन्होंने अपने किरदार के पंचेज के जरिए खूब हंसाया है। प्रतीक गांधी ने भी पिंकू बनकर उनका बेहतरीन साथ दिया। प्रतीक को फिल्म में दोहरा किरदार मिला है, जो कॉमिडी में इजाफा करता है। आयुष के रूप में कदरन धीर-गंभीर किरदार में अविनाश तिवारी ने अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है। तीनों दोस्तों के रूप में इनकी केमेस्ट्री 'दिल चाहता है', 'जिंदगी मिलेगी न दोबारा' जैसी दोस्ती वाली फिल्मों की याद भी दिलाती है। नोरा फतेही को फिल्म में ग्लैमर एड करने के लिए रखा गया था। उनके किरदार के पास करने को कुछ खास नहीं था। उन्हीं की तरह रेमो डिसूजा को भी ज़ाया किया गया है, मगर मेंडोजा और कांचन कोमड़ी के रूप में उपेंद्र लिमये और छाया कदम अपने अजीबो-गरीब किरदारों के जरिए भरपूर एंटरटेन किया है।
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