ऐक्टर:तब्बू,करीना कपूर,कृति सेनन,दिलजीत दोसांझ,कुलभूषण खरबंदा,शाश्वत चटर्जी,कपिल शर्मा,राजेश शर्मा
डायरेक्टर : राजेश कृष्णनश्रेणी:Hindi, कॉमेडी, ड्रामाअवधि:2 Hrs 4 Minबॉलीवुड में हीरोइन ओरिएंटेड फिल्मों का दौर चल पड़ा है। ये सच है कि अब नायिका सिर्फ सजावटी गुड़िया नहीं हैं, वे प्यार-रोमांस के साथ एक्शन भी कर सकती हैं, आतंकवादियों से भी भिड़ सकती हैं। पिछली कुछ फिल्मों में हमारी नायिकाएं ये सब करती दिखी हैं और अब निर्देशक राजेश कृष्णन तब्बू, करीना और कृति जैसी ए लिस्टेड एक्ट्रेस के साथ क्रू में पेश हुए हैं, जिसमें ये सधी हुई नायिकाएं न केवल डकैती करती हैं बल्कि आपको हंसाती-गुदगुदाती भी हैं। इसमें कोई शक नहीं कि निर्देशक ने हीरोइनों को बिना किसी हीरो का मोहताज हुए एक नए रंग में पेश किया है, मगर इसी के साथ वे कहानी पर भी अपनी पकड़ मजबूत रखते, तो निसंदेह यह एक कमाल की फिल्म साबित हो सकती थी।Full Movie Download Link:- [click here👇]
फिल्म 'क्रू' की कहानी
आगे चल कर उन्हें जब पता चलता है कि उनकी एयरलाइंस दिवालिया हो गई है और विजय वालिया विदेश भाग गया है, तब वे अपने सपनों को पूरा करने के लिए सोने की स्मगलिंग में शामिल अपने एचआर मित्तल (राजेश शर्मा) के साथ मिलकर पैसा बनाने के लिए तैयार हो जाती हैं। वे इस बात से अंजान हैं कि दिव्या राणा का पुराना परिचित और कस्टम ऑफिसर जयवीर (दिलजीत
दोसांझ) और उसकी टीम इन तीनों पर नजर रखे हुए है।
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हालांकि 'टाइटैनिक ही देख ले, अमीर सारे बोत में बैठ कर निकल गए और गरीब बेचारे डूब गए' जैसे कई वनलाइनर्स चुटीले हैं। सेकंड हाफ में फिल्म टुकड़ों में मनोरंजन करती है। 2 घंटे 4 मिनट के रन टाइम को नियंत्रित करने के लिए कुछ दृश्यों को जल्दबाजी में समेटा गया है। तकनीकी और संगीत पक्ष की बात करें, तो जॉन स्टीवर्ट एडरी का बैकग्राउंड स्कोर शानदार है। घाघरा, चोली के पीछे क्या है और सोना कितना सोना है, जैसे गानों को रीक्रिएट किया गया है जबकि दिलजीत दोसांझ और बादशाह का गाया नैना गीत अच्छा बन पड़ा है। फिल्म में कॉस्टयूम डिपार्टमेंट की तारीफ करनी होगी। उन्होंने तीनों हीरोइनों को काफी स्टाइलिश अंदाज में पेश किया है। अनुज राकेश धवन की सिनेमैटोग्राफी आकर्षक है।Full Movie Download Link:- [click here👇]
तब्बू और करीना जैसी दो दिग्गज अभिनेत्रियों के बीच कृति ने खुद को धूमिल नहीं पड़ने दिया है। उनकी परफॉर्मेंस भी दमदार है। कपिल शर्मा थोड़े से स्क्रीन स्पेस में याद रह जाते हैं, मगर फिल्म में उनका ज्यादा इस्तेमाल किया जाना चाहिए था। दिलजीत दोसांझ ने अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है, पर शाश्वता चटर्जी जैसे समर्थ अभिनेता को जाया कर दिया गया है। कुलभूषण खरबंदा और राजेश शर्मा अपने किरदारों में जमे हैं। सहयोगी कास्ट ठीक-ठाक है।
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